कोटा चित्रशैली :- इस लेख में आप कोटा चित्रशैली से सम्बंधित सभी तथ्य जानेंगे इस लेख में कोटा चित्रशैली के इतिहास के बारे में संपूण जानकारी दी गई है अतः इस लेख को पूरा पढ़े
कोटा चित्र शैली के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन इसके इतिहास को लेके बहुत कम लोगो को जानकारी है की कोटा चित्रशैली का प्रारम्भ किस के समय हुआ? तथा इसे शिकारी चित्रशैली क्यों कहा जाता है?
कोटा चित्रशैली का प्रारम्भ
कोटा चित्रशैली का प्रारम्भ :- कोटा चित्रशैली के प्रारम्भ की बात करे तो यह रामसिंह के समय प्रारंभ हुई | तथा इस चित्रशैली का स्वर्णकाल उम्मेद सिंह के शासन काल को कहा जाता है |
कोटा चित्रशैली को शिकारी चित्रशैली क्यों कहते है ?
इस चित्रशैली में सर्वाधिक शिकारी दृश्य दिखाए गये है | इस कारण इस चित्रशैली को शिकारी चित्रशैली भी कहते है |
कोटा चित्रशैली या शिकारी चित्रशैली की विशेषताए
- बेटी की विदाई दिखाई गयी है |
- उमड़ते घुमड़ते बादल दिखाए गये है |
- हाथियों की लड़ाई दिखाई गयी है |
- दहाड़ते हुए शेर दिखाए गये है |
- राम को हिरण का शिकार करते हुए दिखाया गया है |
- स्वास्तिक चिह्न ,मंगल कलश दिखाए गये है |
- खजूर के वृक्ष की प्रधानता है |
इस चित्रशैली की सबसे प्रमुख विशेषता यह है की इसमे नारी सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया गया है |
रागमाला चित्र डालुराम के द्वारा बनाया गया है जो कोटा का सबसे बड़ा रागमाला चित्र